माननीय मुख्यमंत्री , उत्तर प्रदेश सरकार/
अध्यक्ष, श्री अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद, अयोध्या
५ शताब्दियों के सुदीर्घ अंतराल के बाद अब प्रभु राम लला अपने भव्य, दिव्य और नव्य धाम में विराज रहे हैं। मंदिर वहीं बना है, जहां बनाने का संकल्प लिया गया था। श्री अवधपुरी में श्री रामलला का विराजना भारत में 'रामराज्य' की स्थापना की उद्घोषणा है। 'सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती' की परिकल्पना अब साकार हो उठी है। आज भारत का हर मार्ग रामजन्मभूमि की ओर आ रहा है एवं पूरी दुनिया अयोध्या जी के वैभव को निहार रही है और हर कोई अयोध्या आने को आतुर है। सन्यासियों, संतों, पुजारियों, नागाओं, निहंगों, बुद्धिजीवियों, राजनेताओं, वनवासियों, गृहस्थों और बैरागियों समेत सहित समाज का हर वर्ग जाति-पाँति, विचार- दर्शन, उपासना पद्धति से ऊपर उठकर राम काज और प्रभु श्रीरामलला के दर्शन करने के लिए यहाँ आ रहा है। अयोध्या की पुनरावृत्ति और सुधार न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक गर्व और एकता को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। ये प्रयास ऐतिहासिक पहचान को संरक्षित करने के साथ-साथ आज की सामाजिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं को भी समाहित कर रहे हैं |
उत्तर प्रदेश आज माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। ऐसे में अयोध्याजी में प्रभु श्रीराम लला के आगमन और मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या के धार्मिक वैशिष्ट्य में विस्तार हुआ है। आज अयोध्या नगरी, पूरे भारत का सौभाग्य है, भारतीय सनातन संस्कृति की ओर से यह संदेश पूरे विश्व पटल पर पहुंच चुका है। ऐसे में श्री अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद का गठन होना अपने आप में एक सुखद एवं दीर्घजीवी अनुभूति है। माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपने संकल्प के तहत इसके गठन को विधान सभा में मंजूरी पिछले वर्ष ही प्रदान कर दी थी ऐसे में इस परिषद का मूर्त रूप लेना प्रदेश सरकार के संकल्पों के पूर्ण होने का स्वर्णिम प्रतिबिम्ब है। मुझे इस बात का पूर्ण विश्वास है कि यह परिषद अपने दायित्वों के सफल निर्वाहन के साथ सेवा एवं संचालन के क्षेत्र में सम्पूर्ण राष्ट्र के समक्ष एक प्रतिमान स्थापित करेगा |
पर्यटन मंत्री. उत्तर प्रदेश सरकार/
उपाध्यक्ष , श्री अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद, अयोध्या
प्रमुख सचिव, पर्यटन/
सदस्य सह-संयोजक, श्री अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद, अयोध्या
विदित है कि श्री अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद का गठन अयोध्या की समस्त प्रकार की सांस्कृतिक, पारिस्थितिकीय तथा स्थापत्य सम्बंधी विरासत की सौंदर्यपरक गुणवत्ता को परिरक्षित करने, विकसित करने तथा अनुरक्षित करने की योजनायें तैयार करने के उद्देश्य से किया गया है। साथ ही इस परिषद को विभिन्न जनहितकारी प्रयोजनों एवं योजनाओं के क्रियान्वयन का समन्वय एवं अनुश्रवण करने और क्षेत्र में एकीकृत पर्यटन विकास तथा विरासत संरक्षण एवं प्रबंधन हेतु संगत नीतियों विकसित करने का दायित्व भी प्रदान किया गया है। इसके अतिरिक्त यह परिषद अयोध्या जनपद के किसी विभाग/स्थानीय निकाय/प्राधिकरण को अयोध्या क्षेत्र के विरासतीय संसाधनों को प्रभावित करने वाली या सम्भावित रूप में प्रभावित करने वाली किसी योजना, परियोजना या किसी विकासगत प्रस्ताव के सम्बंध में परामर्श एवं मार्ग दर्शन प्रदान करने के लिये भी उत्तरदायी है। परिषद का गठन एक दूरगामी परिणाम देने वाला उपक्रम है एवं यह अयोध्या धाम समय अयोध्या जनपद के चातुर्दिक विकास की आधारशिला का मजबूत स्तम्भ बने इसी कामना के साथ मैं इस परिषद के गठन पर अपनी तरफ से अग्रिम शुभकामनायें अर्पित करता हूँ और आशा करता हूँ कि यह परिषद अपने दायित्वों का कुशल निर्वाहन करेगा |
उत्तर प्रदेश श्री अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद अधिनियम 2023 के अन्तर्गत माननीय मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में श्री अयोध्या जी तीर्थ विकास का गठन अयोध्या क्षेत्र के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सशक्त करने, संरक्षित करने एवं सुरक्षित रखने के लिए हुआ है। अयोध्या तीर्थ क्षेत्र के समग्र विकास तथा अयोध्या को विश्व पटल पर गौरवशाली बनाने का हमारा प्रयास होगा। एकीकृत विकास के लिए विभिन्न पणधारकों, सरकारी विभागों, स्थानीय निकायों, मंदिर प्रवन्धन स्वयं सहायता समूह, अनुसन्धानकर्ता और विद्वानों के मध्य शासकीय तन्त्र व जन सहयोग के माध्यम से समन्वय 'सुनिश्चित करते हुए यह परिषद अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में अवश्य सफल होगी । शुभकामनाओं सहित |
आयुक्त अयोध्या मंडल, अयोध्या/
सदस्य, श्री अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद, अयोध्या
नगर आयुक्त, नगर निगम अयोध्या/
मुख्य कार्यपालक अधिकारी, श्री अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद, अयोध्या
"श्री अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद" अयोध्या विभिन्न धार्मिक एव सांस्कृतिक प्रायोजनो से अयोध्या धाम में आगमन करने वाले समस्त श्रद्धालुओ को विश्व स्तरीय सुविधाओ को सुगमता से प्रदान कराये जाने एंव स्थानीय समस्त जनपद अयोध्या वासियो को मूलभूत सुविधाओ का सुनियोजित लाभ देने के लिये कृत संकल्पित है। हमारा यह सतत् प्रयास रहेगा कि जो भी श्रद्धालु यहाँ आगमन करें अयोध्या धाम से सम्बन्धित अविस्मरणीय स्मृतियो को वापस लेकर यहाँ से जाये। इसके साथ ही परिषद सम्पूर्ण अयोध्या जनपद के अन्य ऐतिहासिक तीर्थ स्थल एंव धार्मिक संस्थान एंव महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानो के सर्वागीण विकास हेतु भी संकल्पित है। मै इस परिषद के माध्यम से सम्पूर्ण अयोध्या जनपद आगमन करने वाले समस्त अतिथियो/श्रद्धालुओ का स्वागत एंव अभिनन्दन करता हूँ |
यह अयोध्या के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है, जो उत्तर प्रदेश के अयोध्या क्षेत्र में हनुमान गढ़ी के पास स्थित है। यह भव्य मंदिर एक ऊंचे स्थान पर एक पतले शिखर के साथ स्थित है और दूर से दिखाई देता है। यह अयोध्या का सबसे ऊंचा मंदिर है।.
मान्यता के अनुसार यह राम कोट मंदिर में प्रवेश का मुख्य द्वार था। विक्रमादित्य द्वारा जीर्णोद्धार के बाद समय-समय पर कई राजाओं ने इसकी मरम्मत करवाई, जिनमें राजा दर्शन सिंह से लेकर राजा जगदंबिका प्रताप सिंह तक शामिल हैं |
इस मंदिर का निर्माण पेशवा के सरदार रंगराव ओढेकर ने 1782 में नागर शैली में करवाया था, जो 1788 ई. के आसपास पूरा हुआ। मंदिर में स्थापित राम की मूर्ति काले पत्थर से बनी है, इसलिए इसे 'कालाराम' कहा जाता है। यह मंदिर 74 मीटर लंबा और 32 मीटर चौड़ा है। मंदिर की चारों दिशाओं में चार दरवाजे हैं। इस मंदिर के कलश की ऊंचाई 69 फीट है और कलश 32 टन शुद्ध सोने से बना है। पूर्वी महाद्वार से प्रवेश करने पर एक भव्य सभामंडप दिखाई देता है, जो 12 फीट ऊंचा है और इसमें चालीस स्तंभ हैं |
"यहां का सबसे प्रमुख हनुमान मंदिर "हनुमानगढ़ी" के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है। कहा जाता है कि हनुमान जी यहाँ एक गुफा में रहते थे और रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। हनुमान जी को रहने के लिए यही स्थान दिया गया था।प्रभु श्रीराम ने हनुमान जी को ये अधिकार दिया था कि जो भी भक्त मेरे दर्शनों के लिए अयोध्या आएगा उसे पहले तुम्हारा दर्शन पूजन करना होगा। यहाँ आज भी छोटी दीपावली के दिन आधी रात को संकटमोचन का जन्म दिवस मनाया जाता है। "पवित्र नगरी अयोध्या में सरयू नदी में पाप धोने से पहले लोगों को भगवान हनुमान से आज्ञा लेनी होती है। यह मंदिर अयोध्या में एक टीले पर स्थित होने के कारण मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 76 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं। इसके बाद पवनपुत्र हनुमान की 6 इंच की प्रतिमा के दर्शन होते हैं,जो हमेशा फूल-मालाओं से सुशोभित रहती है। मुख्य मंदिर में बाल हनुमान के साथ अंजनी माता की प्रतिमा है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में आने से उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर परिसर में माँ अंजनी व बाल हनुमान की मूर्ति है जिसमें हनुमान जी, अपनी मां अंजनी की गोद में बालक के रूप में विराजमान हैं। "इस हनुमान मंदिर के निर्माण के कोई स्पष्ट साक्ष्य तो नहीं मिलते हैं लेकिन कहते हैं कि अयोध्या न जाने कितनी बार बसी और उजड़ी, लेकिन फिर भी एक स्थान जो हमेशा अपने मूल रूप में रहा वो हनुमान टीला है जो आज हनुमान गढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है। लंका से विजय के प्रतीक रूप में लाए गए निशान भी इसी मंदिर में रखे गए जो आज भी खास मौके पर बाहर निकाले जाते हैं और जगह-जगह पर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। मंदिर में विराजमान हनुमान जी को वर्तमान अयोध्या का राजा माना जाता है। कहते हैं कि हनुमान यहाँ एक गुफा में रहते थे और रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में आने से उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
हनुमान गढ़ी के निकट स्थित कनक भवन अयोध्या का एक महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर माता सीता और श्री राम के सोने का मुकुट पहने प्रतिमाओं के लिए लोकप्रिय है। इसी कारण बहुत बार इस मंदिर को सोने का घर भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर को भगवान राम की माता कैकई ने विवाह के बाद सीता जी को मुह दिखाई मे दिया था । यह महल भगवान राम और माता सीता का निजी महल था जो की समय के साथ खंडर होता गया । यह मंदिर टीकमगढ़ की रानी ने 1891 में बनवाया था। इस मंदिर के श्री विग्रह (श्री सीताराम जी) भारत के सुन्दरतम स्वरूप कहे जा सकते है। यहाँ नित्य दर्शन के अलावा सभी समैया-उत्सव भव्यता के साथ मनाये जाते हैं |
सरयू तट पर बसी अयोध्या यूं तो भगवान राम के नाम से पूरे विश्व में जानी जाती है| प्रभु श्री राम की जन्मस्थली से चंद कदम की दूरी पर स्थित दशरथ महल एक प्रसिद्ध सिद्ध पीठ है| मान्यताओं के अनुसार राजा दशरथ ने त्रेता युग में इस महल की स्थापना की थी| इस पौराणिक महल का कालांतर में कई बार जीर्णोद्धार भी किया गया| चक्रवर्ती महाराज दशरथ के महल को बड़ा स्थान या बड़ी जगह के नाम से भी जाना जाता है.वर्तमान समय में दशरथ महल अब एक पवित्र मंदिर के रूप में परिवर्तित हो चुका है| जहां भगवान श्री राम माता सीता लक्ष्मण शत्रुघ्न और भरत की प्रतिमाएं स्थापित हैं| श्रवण मेला चैत, रामनवमी, कार्तिक मेला, दीपावली, राम विवाह उत्साह के साथ मनाया जाता है| मान्यता है कि चक्रवर्ती राजा दशरथ अपने रिश्तेदारों के साथ यहां रहते थे|
शिव भगवन को समर्पित यह मंदिर राम की पैड़ी में स्थित है| ऐसी मान्यता है कि इसका निर्माण श्री राम के छोटे पुत्र कुश ने करवाया था| कहा जाता है कि एक बार सरयू में स्नान करते समय कुश ने अपना बाजूबंद खो दिया था जो एक नाग कन्या द्वारा वापस किया गया| नाग कन्या कुश पर मोहित हो गयी, चूँकि वह शिवभक्त थी अतः कुश ने इस मंदिर का निर्माण उस नाग कन्या के लिए करवाया था| यह मंदिर राजा विक्रमादित्य के शासन काल तक अच्छी स्थिति में था| 1750 में इसका जीर्णोधार नवाब सफ़दरजंग के मंत्री नवल राय द्वारा कराया गया था| शिवरात्रि का पर्व इस मंदिर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, यहाँ शिव बारात का भी बड़ा महत्त्व है| शिवरात्रि के पर्व में यहाँ लाखों की संख्या में दर्शनार्थी एवं श्रद्धालु उपस्थित होते हैं| |
अयोध्या शहर उत्तर प्रदेश में सरयू नदी के किनारे स्थित है। श्रद्धालुओं के साथ-साथ आम पर्यटकों के लिए भी उत्तर प्रदेश का यह शहर दर्शनीय है। भले ही ये अयोध्या में सभी पर्यटक आकर्षण दर्शनीय हैं, लेकिन अयोध्या में कुछ अन्य स्थान भी हैं जो राम कथा संग्रहालय के उदाहरण के रूप में अच्छी तरह से देखने लायक हैं। इसी में से एक राम कथा संग्रहालय है। इसे वर्ष 1988 में स्थापित किया गया था। राम कथा संग्रहालय, भारत में कला और कलाकृतियों का एक बहुत ही रोचक संग्रह है। यह विशेष रूप से इतिहास के प्रेमियों के लिए एक विशेष संग्रहालय है। सिक्कों, दुर्लभ ताड़ के पत्तों की पांडुलिपियों और मिट्टी के बर्तनों का प्रदर्शन किया जाता है जो अतीत पर प्रकाश डालते हैं। इस संग्रहालय में मिट्टी के बर्तनों के अलावा, कई अन्य टेराकोटा वस्तुएं हैं। कपड़ा और धातु की वस्तुएं रिपॉजिटरी का एक अभिन्न हिस्सा हैं। इस संग्रहालय की यात्रा पर आने वाले किसी भी आगंतुक को निश्चित रूप से प्रभावित करेगा कि वे अति सुंदर मूर्तियां हैं। इस संग्रहालय में रखी गई खूबसूरत तस्वीरें और अद्भुत पेंटिंग भी किसी का ध्यान आकर्षित करने में विफल नहीं होंगी। यहाँ रखी कई पुरावशेष भगवान राम के जीवन से जुड़ी हैं। संग्रहालय प्राधिकरण न केवल उससे जुड़ी इन पुरानी कलाकृतियों के संरक्षण में लगा हुआ है बल्कि संग्रह को लगातार बढ़ा रहा है|
Commissionerate, Ayodhya Division, Civil Line, Ayodhya – 224001